Ever since the inception of the diocese of Buxar that started in the year 2005 with seven diocesan priests, the lack of personnel to minister to four districts is still a matter of major concern. The concern of the Good Shepherd that the harvest is plenty and the labourers are few is much relevant to our situation today (Mt. 9:37). He continues to call to Him whom He desires. Those disciples are formed by Him and sent out on mission (Mk. 3: 14-15).
The present challenging situations call for well-formed priests to continue Jesus threefold mission to enhance the kingdom of God. The formation of such priests is the responsibility of the whole Church.
The Logo Anointed to Serve (ref зff) indicates the outpouring of the Spirit for the gracious anointing over the Diocese of Buxar.
The Logo points out various ministries in the Diocese:
Liturgical service, portrayed in rays generating from the Holy Spirit, symbolizing the sacraments;
Service of Shepherding, indicated in the crosier;
Service of the Word of God and Wisdom, portrayed in the Book:
Service of Love in Servant leadership, indicated in the washing of the feet.
May his commitment of 'Anointed to Serve'
be made fruitful in the Diocese of Buxar.
श्रद्धेय जेम्स शेखर का जन्म पालयमकोटै धर्मप्रान्त के सिंगमपारै गाँव में 23 सितम्बर 1957 को हुआ। श्रद्धेय जेम्स शेखर, स्व. देवसहायम एवं स्व. मेरी की पाँच सन्तानों में तीसरे स्थान पर हैं। अपने ही गाँव के सन्त पॉल विद्यालय में अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने मिशन होम, नागरकोविल में प्रवेश किया और कार्मेल उच्च विद्यालय में अपने इण्टर तक की पढ़ाई पूरी की।
ईश्वर की बुलाहट का अनुभव कर, श्रद्धेय जेम्स शेखर ने पटना मिशन के लिए अपने जीवन को समर्पित किया। उन्होंने मिशन-यात्रा की शुरुआत सन् 1984-1985 में, मसीह गुरुकुल, मुजफ्फरपुर में स्थित माइनर सेमिनरी में प्रवेश करने के साथ की। सन्त जोसेफ सेमिनरी, इलाहाबाद में अपनी दर्शन-शास्त्र का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, उन्होंने मौकामा एवं गुल्नी पल्लियों में अपनी जेन्सी की ; तत्पश्चात्, पुनः सन्त जोसेफ सेमिनरी में ईश शास्त्र के अध्ययन हेतु भेजे गए। अपने प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक समाप्त करने के बाद श्रद्धेय जेम्स शेखर का पुरोहिताभिषेक 26 मई 1996 में हुआ।
पुरोहिताई सेवा कार्य को उन्होंने पटना महाधर्मप्रान्त के विभिन्न पल्लियों में, साथ-साथ बिहार की कलीसिया के लिए विभिन्न स्तर पर की - मोकामा में सहायक पल्ली पुरोहित (1996- 1997); युवा निर्देशक (1996-1997); चक्कारम में प्रेरिताई (1998-2003); आर्चविशप के सचिव (2009-2021);
Bijhan विशप काउन्सिल के महासचिव (2009-2013 तथा 2015-2020); पुरोहिताई प्रशिक्षण के इन्चार्ज (2009-2014); सन्त आल्बर्ट कॉलेज, राँची एवं मार्निंग स्टार कॉलेज, कोलकाता में बाइबिल के आचार्य एवं पटना महाधर्मप्रान्त एवं बिहार स्तरीय सामाजिक सेवा कार्य का निर्देशक (2021 से अब तक)। इन सभी सेवाओं के साथ-साथ, उन्होंने विभिन्न उच्च स्तरीय धार्मिक शिक्षाएँ भी प्राप्त की हैं - बैंगलूर में काउंसलिंग का प्रशिक्षण एवं रोम तथा ऑस्ट्रिया में बाइबिल में उपाधि ।
श्रद्धेय जेम्स शेखर का सेवा कार्य, समर्पण एवं प्रेरितिक उत्साह के आधार पर, सन्त पिता फ्रान्सिस ने 04 फरवरी 2023 को, उन्हें बक्सर धर्मप्रान्त के धर्माध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया। 'सेवार्थ अभिषिक्त' सिद्धांत को अपनाते हुए, श्रद्धेय जेम्स शेखर के धर्माध्यक्ष-सेवाकार्य में ईश्वर उन्हें सदैव सम्भालें और मार्गदर्शन देते रहें।
Besides all the priests, diocesan and religious in the diocese of Buxar, for practical purpose a few diocesan priests are assigned different regions to take care of.
In-charges : Fr. Manoj Kumar & Bro. AnkitKumar |
In-charges: Fr. Anand Kumar & Fr. Jitender Kumar |
In-charges : Fr. Susai Raj & Fr. Pratap Dalai |
In-charges : Fr. Bikas Nayak |
With immense gratitude, we recall the services rendered by the missionary priests, whose legacy of perennial value continues to inspire many young men to follow their footsteps in building the local Church. If God's work has to continue, we need many young men to respond to God's call. At the same time, they need to be formed to fulfill faithfully the priestly duties. The diocese of Buxar, from the beginning, has been very keen on recruiting rightly motivated boys and forming them as candidates to priesthood. The family, the parish, the diocese as a whole,. along with different seminaries are called upon to contribute their share in forming more and more priests to serve the diocese.
To have sufficient number of well-motivated and committed candidates to priesthood to be formed after the vision-mission of Buxar diocese .
Shaping deeply spiritual, pastorally committed, rightly motivated, emotionally matured and sufficiently informed seminarians of Buxar. This is done in an ecclesial and synodal way with the collaboration of all concerned at various levels that the diocese will have zealous and committed priests to carry on its mission.